🛕 श्रीमद्‍भगवद्‍ गीता 🛕

भगवत गीता अध्याय 1 का श्लोक 3 | bhagwat geeta adhyay 1 shlok 3

भगवत गीता अध्याय 1 का श्लोक 3

यहाँ भगवद गीता के अध्याय 1 का श्लोक 3 का विस्तार से अनुवाद है:
bhagwat-geeta-adhyay-1-shlok-3

पश्यैतां पाण्डुपुत्राणामाचार्य महतीं चमूम् ।
व्यूढां द्रुपदपुत्रेण तव शिष्येण धीमता 

इसका अर्थ:
अर्जुन विशेषज्ञ विराट के द्वारा आपके द्वारा पराभूत हुए पाण्डव पुत्रों को देख रहा है, और भी आपके महान शिष्य धृष्टद्युम्न द्वारा उनका चमकता हुआ चमू को देख रहा है।

अनुवाद

हे आचार्य ! अपने बुद्धिमान् शिष्य द्रुपद - पुत्र धृष्टद्युम्न द्वारा व्यूहाकार खड़ी की हुई पाण्डुपुत्रों की इस भारी सेना को देखिये।

टीका

शाश्वत अचल पद में आस्था रखनेवाला दृढ़ मन ही 'धृष्टद्युम्न' है। यही पुण्यमयी प्रवृत्तियों का नायक है।
'साधन कठिन न मन कहुँ टेका।' (रामचरितमानस,७/४४/३) - साधन कठिन नहीं, मन की दृढ़ता कठिन होनी चाहिये।

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Kartik Budholiya

Kartik Budholiya

Education, GK & Spiritual Content Creator

Kartik Budholiya is an education content creator with a background in Biological Sciences (B.Sc. & M.Sc.), a former UPSC aspirant, and a learner of the Bhagavad Gita. He creates educational content that blends spiritual understanding, general knowledge, and clear explanations for students and self-learners across different platforms.