🛕 श्रीमद्‍भगवद्‍ गीता 🛕

भगवद गीता अध्याय 11 श्लोक 30 | Bhagavad Gita Chapter 11 Shlok 30

भगवद गीता अध्याय 11 श्लोक 30

Bhagavad Gita Adhyay 11 Shlok 30 में अर्जुन कहता है कि हे विष्णु! आप अपने ज्वलंत मुखों से सभी लोकों को निगल रहे हैं। सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड आपके तेज से भर गया है, और आपकी प्रचंड ज्योतियाँ संसार को झुलसा रही हैं।
bhagavad-gita-chapter-11-shlok-30
श्लोक:
लेलिह्यसे ग्रसमानः समन्ता-
ल्लोकान्समग्रान्वदनैर्ज्वलद्भिः ।
तेजोभिरापूर्य जगत्समग्रं
भासस्तवोग्राः प्रतपन्ति विष्णो ॥३०॥

Transliteration:
lelihyase grasamānaḥ samantāl
lokān samagrān vadanair jvaladbhiḥ
tejobhir āpūrya jagat samagraṁ
bhāsas tavogrāḥ pratapanti viṣhṇo

अर्थ:

हे विष्णु! मैं देखता हूँ कि आप अपने प्रज्वलित मुखों से सभी दिशाओं के लोगों को निगले जा रहे हैं। आप सारे ब्रह्माण्ड को अपने तेज से आपूरित करके अपनी विकराल झुलसाती किरणों सहित प्रकट हो रहे हैं।

Meaning:
O Vishnu, I see You devouring all people from all directions with Your blazing mouths. Filling the entire universe with Your radiance, Your fierce rays are scorching all the worlds.

एक टिप्पणी भेजें

Post a Comment (0)

और नया पुराने