Bhagavad Gita Adhyay 2 Shlok 54 में अर्जुन भगवान श्रीकृष्ण से आत्म-साक्षात्कार प्राप्त व्यक्ति के व्यवहार और लक्षणों के विषय में प्रश्न करते हैं।
श्लोक:
स्थितप्रज्ञस्य का भाषा समाधिस्थस्य केशव।
स्थितधीः किं प्रभाषेत किमासीत व्रजेत किम् ॥५४॥
Transliteration:
sthita-prajñasya kā bhāṣhā samādhi-sthasya keśhava
sthita-dhīḥ kiṁ prabhāṣheta kim āsīta vrajeta kim
अर्जुन ने कहा- हे कृष्ण ! अध्यात्म में लीन चेतना वाले व्यक्ति (स्थितप्रज्ञ ) के क्या लक्षण हैं? वह कैसे बोलता है तथा उसकी भाषा क्या है? वह किस तरह बैठता और चलता है?
Meaning
Arjuna said - O Krishna! What are the characteristics of a person whose consciousness is merged in spiritual wisdom (sthita-prajna)? How does such a steady-minded person speak? How does he sit and walk?
जिस प्रकार प्रत्येक व्यक्ति के उसकी विशिष्ट स्थिति के अनुसार कुछ लक्षण होते हैं उसी प्रकार कृष्णभावनाभावित पुरुष का भी विशिष्ट स्वभाव होता है- यथा उसका बोलना, चलना, सोचना आदि। जिस प्रकार धनी पुरुष के कुछ लक्षण होते हैं, जिनसे वह धनवान जाना जाता है, जिस तरह रोगी अपने रोग के लक्षणों से रुग्ण जाना जाता है या कि विद्वान् अपने गुणों से विद्वान् जाना जाता है, उसी तरह कृष्ण की दिव्य चेतना से युक्त व्यक्ति अपने विशिष्ट लक्षणों से जाना जाता है। इन लक्षणों को भगवद्गीता से जाना जा सकता है। किन्तु सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि कृष्णभावनाभावित व्यक्ति किस तरह बोलता है, क्योंकि वाणी ही किसी मनुष्य का सबसे महत्त्वपूर्ण गुण है। कहा जाता है कि मूर्ख का पता तब तक नहीं लगता जब तक वह बोलता नहीं। एक बने-ठने मूर्ख को तब तक नहीं पहचाना जा सकता जब तक वह बोले नहीं, किन्तु बोलते ही उसका यथार्थ रूप प्रकट हो जाता है। कृष्णभावनाभावित व्यक्ति का सर्वप्रमुख लक्षण यह है कि वह केवल कृष्ण तथा उन्हीं से सम्बद्ध विषयों के बारे में बोलता है। फिर तो अन्य लक्षण स्वतः प्रकट हो जाते हैं, जिनका उल्लेख आगे किया गया है।
Just as every individual has specific traits based on their condition, so does a person in Krishna consciousness. The way they speak, walk, and think reveals their spiritual state. Just as a rich man is recognized by his possessions, or a sick person by his symptoms, so is a Krishna-conscious person known by divine qualities. The most significant feature is speech-it reveals a person’s inner character. A fool may appear wise until he speaks. Likewise, the primary sign of a person in Krishna consciousness is that he speaks only of Krishna and related topics. Other signs naturally follow and are described further in the Gita.
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