🛕 श्रीमद्‍भगवद्‍ गीता 🛕

भगवद गीता अध्याय 11 श्लोक 6 | Bhagavad Gita Chapter 11 Shlok 6

भगवद गीता अध्याय 11 श्लोक 6

Bhagavad Gita Adhyay 11 Shlok 6 में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि वह आदित्य, वसु, रुद्र, अश्विनी कुमार और मरुतगण सहित उन सभी अद्भुत रूपों को देखे जिन्हें पहले किसी ने न देखा है न सुना।
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श्लोक:
पश्यादित्यान्वसून्रुद्रानश्विनौ मरुतस्तथा ।
बहून्यदृष्टपूर्वाणि पश्याश्चर्याणि भारत ॥६॥

Transliteration:
paśhyādityān vasūn rudrān aśhvinau marutas tathā
bahūny adṛiṣhṭa-pūrvāṇi paśhyāśhcharyāṇi bhārata

अर्थ:

हे भारत! लो, तुम आदित्यों, वसुओं, रुद्रों, अश्विनीकुमारों तथा अन्य देवताओं के विभिन्न रूपों को यहाँ देखो। तुम ऐसे अनेक आश्चर्यमय रूपों को देखो, जिन्हें पहले किसी ने न तो कभी देखा है, न सुना है।

Meaning:
Behold the Adityas, the Vasus, the Rudras, the Ashvins, and the Maruts. O Bharata, see many wondrous forms that no one has ever seen or heard of before.

तात्पर्य:

यद्यपि अर्जुन कृष्ण का अन्तरंग सखा तथा अत्यन्त विद्वान था, तो भी वह उनके विषय में सब कुछ नहीं जानता था।
यहाँ पर यह कहा गया है कि इन समस्त रूपों को न तो मनुष्यों ने इसके पूर्व देखा है, न सुना है। अब कृष्ण इन आश्चर्यमय रूपों को प्रकट कर रहे हैं।

Although Arjuna was an intimate friend of Krishna and a great scholar, he still did not know everything about Him. Here it is said that none of these forms had ever been seen or heard by human beings before. Now, Krishna is revealing these wondrous forms for the first time.

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